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कृषि में पहलीबार अंक बनाने में सफलता
चन्दन झा के लिए कृषि एक नयी चीज थी जब उन्होंने अपने जीवनयापन के लिए खेती बारी करने का निर्णय लिया | इससे पूर्व में कभी भी खेती बारी से जुडाव नहीं रहा | श्री झा दिल्ली विश्वविद्यालय से कॉमर्स मे डिग्री प्राप्त करने के पश्चात एक विदेशी कंपनी में कार्यरत थे | हालांकि नियति को उनके लिए कुछ और ही मंजूर था | श्री झा 2011 में पिता के देहांत के पश्चात नौकरी छोड़कर घर आ गये थे | उन्होंने घर गृहस्थी का भार अपने ऊपर ले लिया | उस वक्त श्री झा ने कृषि को नौकरी पेशा की तरह अपनाया उस समय उनके परिवार वाले कुल 15 एकड़ में से 8 एकड़ में गेहूं व मक्का की खेती करते थे | धान एवं मक्का में विशेषकर धान की खेती से उन्हें ज्यादा मुनाफा नहीं हो रहा था | श्री झा आय बढ़ाने के उचित अवसर की तलाश में थे | वह कृषि गतिविधियों में विविधता लाने के इच्छुक थे चुकि वे कृषि को अपने जीवनयापन का एक साधन बना चुके थे | विविधिकरण योजना पर कार्य करने के लिए किसी ठोस विचार के अभाव में उनके लिए मुश्किल हो रही थी | उन्होंने वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के सुझाव प्राप्त करने के लिए 2012 में बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर का रुख किया | विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों ने कृषि से संबंधित विभिन्न प्रकार के फसल विविधिकरण का सुझाव श्री झा को दिए | और आगे सुझाव प्राप्त करने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र, मधेपुरा से संबंध स्थापित करने को कहा इसी करी में श्री झा कृषि विज्ञान केंद्र, मधेपुरा के वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों के संपर्क में आये | उन्हे कृषि आय बढ़ाने के लिए के.वी.के. द्वारा भरपूर सहयोग दिया गया | उन्होंने अपने कृषि को विविधिकरण करने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र से क्रमशः बहुत सारे प्रशिक्षण प्राप्त किये प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद श्री झा ने एस.आर.आई विधि से धान की खेती, जीरो टिलेज से गेहूं एवं धान की सीधी बुआई तकनिक के बारे में प्रशिक्षण प्राप्त कर फसल उत्पादन में उपरोक्त तकनीक को अपनाया श्री झा कृषि विज्ञान केंद्र से लगातार संपर्क में रहकर खेती की नयी नयी तकनीक एवं उसके अपनाने में आने वाली परिस्थितियों तथा कृषि संबंधित फसलवार उचित खाद, रोग व कीट नियंत्रण हेतु दवा तथा खरपतवारनाशी के बारे में जानकारीयाँ प्राप्त कर अपनाते रहे | के.वी.के के वैज्ञानिकों से संपर्क के दौरान कृषि में विविधिकरण हेतु औषधीय एवं सगंध पौधों की खेती एक विकल्प लगा | उसके पश्चात श्री झा को आत्मा के द्वारा औषधीय एवं सगंध पौधों पर प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए सीमैप, लखनऊ जाने का मौका मिला | प्रशिक्षण प्राप्त करने के पश्चात उन्होंने औषधीय फसल सतावर और कालमेघ की खेती शुरू की परन्तु शुरुआती दौड़ में धान गेहूं मक्का की फसल से औषधीय फसल की खेती एक निश्चित आमदनी के लिए किये जो योजना के अनुसार पूरा नहीं होने के कारण असफल रहे | उसके पश्चात के.वी.के द्वारा समय समय पर बताए गए राह पर चलकर श्री झा ने आलू फसल की खेती शुरू की साथ ही साथ जैविक परवल, मिर्च, भिन्डी और कद्दू की खेती अपने एक बगीचे में करना शुरू किया |
एरोमा मिशन के तहत सगंधीय फसल विस्तारीकरण हेतु उनके माध्यम से मधेपुरा जिला में दो विभिन्न स्थानों पर कृषि विज्ञान केंद्र के सहयोग से दो डिस्टिलेशन ईकाई की स्थापना की 2012 में उनका वार्षिक आमदनी 1 से 1.5 लाख थी आज जैविक एवं सगंधीय फसल की खेती से कुल वार्षिक आमदनी लगभग 3.5 लाख है उन्होंने अपने जैसे बहुत सारे किसानो को जुड़ने की सलाह दी एवं खेती करवाया | उन्होंने नाबार्ड के सहयोग से एफ.पी.ओ बनाया एफ.पी.ओ के माध्यम से इसमें सदस्य अपने उत्पाद की बिक्री के अतिरिक्त खाद एवं बीज की प्राप्ति एवं किसानों को उपलब्ध कराने का कार्य कर रहे हैं |
श्री झा पड़ोसी जिला सहरसा के सौर बाज़ार प्रखंड में स्थित फार्म इम्प्लीमेंट बैंक से जुड़कर कृषि यंत्र की खरीद ब